इस विभाग के दिनांक 15/17-10-1986 के कार्यालय ज्ञापन संख्या 134/2/85-एवीडी-I के अधिक्रमण में, अभियोजन के लिए स्वीकृति देने के मामलों में अनुशासनात्मक प्राधिकारी (डीए) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के बीच असहमति के समाधान के लिए सख्त अनुपालन के लिए निम्नलिखित दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए हैं।
2. केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच किए जा रहे किसी मामले में किसी व्यक्ति पर अभियोजन चलाने के लिए केन्द्र सरकार की संस्वीकृति कार्य से संबंधित कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग में केन्द्रीकृत था, अब विकेन्द्रीकृत कर दिया गया है और मंत्रिमंडल सचिवालय की दिनांक 30 सितंबर, 1986 अधिसूचना सं सीडी-826/86 के तहत संबंधित मंत्रालय/विभाग को सौंप दिया गया है।
2.1 सीबीआई केवल उन मामलों में व्यक्तियों के अभियोजन की सिफारिश करती है, जिनमें उनके द्वारा की गई जांच में उन्हें इसके लिए पर्याप्त औचित्य मिलता है। सीबीआई के भीतर पर्याप्त आंतरिक नियंत्रण हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों की सावधानीपूर्वक जांच करने के बाद ही अभियोजन की सिफारिश की जाए। अतः ऐसे मामलों में अभियोजन के लिए स्वीकृति नहीं देने का कोई भी निर्णय बहुत वैध कारणों से होना चाहिए।
2.2 अभियोजन की स्वीकृति के मामलों पर कार्रवाई करते समय निम्नलिखित दिशानिर्देशों को ध्यान में रखा जाए:
(i) जिन मामलों में अभियोजन के लिए राष्ट्रपति के नाम से स्वीकृति दी जानी अपेक्षित है, उन मामलों में केन्द्रीय सतर्कता आयोग संबंधित मंत्रालय/विभाग को परामर्श देगा और यह मंत्रालय/विभाग पर निर्भर करेगा कि वह केन्द्रीय सतर्कता आयोग के परामर्श पर विचार करे और यह निर्णय ले कि अभियोजन की स्वीकृति दी जानी चाहिए या नहीं;
(ii) ऐसे मामलों में, जिनमें राष्ट्रपति के अलावा कोई अन्य प्राधिकारी अभियोजन की स्वीकृति देने के लिए सक्षम है, और वह प्राधिकारी ऐसी स्वीकृति देने का प्रस्ताव नहीं करता है, तो सीवीसी को मामले की रिपोर्ट करना और सीवीसी अधिनियम, 2003 की धारा 8 (1) (छ) के अनुरूप सीवीसी की सलाह पर विचार करने के बाद आगे की कार्रवाई करना आवश्यक है; (संदर्भ: शुद्धिपत्र दिनांक 18.07.2019)
(iii) उपर्युक्त बिन्दु (i) के अंतर्गत आने वाले मामले में, यदि सीवीसी अभियोजन के लिए स्वीकृति देने की सलाह देता है लेकिन संबंधित मंत्रालय/विभाग ऐसी सलाह को स्वीकार नहीं करने का प्रस्ताव करता है, तो मामले को अंतिम निर्णय के लिए इस विभाग को भेजा जाना चाहिए;
(iv) उपर्युक्त बिन्दु (i) के अंतर्गत आने वाले मामले में, यदि सीवीसी अभियोजन के लिए स्वीकृति देने से इनकार करता है लेकिन संबंधित मंत्रालय/विभाग ऐसी सलाह को स्वीकार नहीं करने का प्रस्ताव करता है और अभियोजन के लिए स्वीकृति देने का प्रस्ताव करता है, तो मामले को अंतिम निर्णय के लिए इस विभाग को भेजा जाना चाहिए।
(v) उपर्युक्त (ii) के अंतर्गत आने वाले मामले में, यदि सीबीआई ने अभियोजन के लिए स्वीकृति मांगी है और सीवीसी ने स्वीकृति देने की सिफारिश की है, और फिर भी सक्षम प्राधिकारी स्वीकृति नहीं देने का प्रस्ताव करता है, तो मामले को प्रभारी मंत्री के स्तर पर अंतिम निर्णय के लिए संबंधित प्रशासनिक विभाग को भेजा जाना चाहिए;
(vi) जहां दो या अधिक सरकारी कर्मचारी शामिल हो, जो विभिन्न मंत्रालयों/विभागों से संबंधित हों अथवा विभिन्न संवर्ग नियंत्रण प्राधिकारियों के नियंत्रणाधीन हों, तो केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो उपर्युक्त अनुच्छेदों में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार संबंधित मंत्रालयों/विभागों अथवा संबंधित सक्षम प्राधिकारियों से अनुमोदन प्राप्त करेगा। जहां किसी एक सरकारी कर्मचारी के मामले में अनुमोदन दिया जाता है, लेकिन दूसरे या अन्य के मामले में अनुमोदन से इनकार कर दिया जाता है, तो सीबीआई अंतिम निर्णय के लिए मामले को इस विभाग को भेज देगी ताकि असहमति, यदि कोई हो, तो उसका समाधान किया जा सके।
3. यह सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन से जारी किया जाता है।